अब ज़मीनें नई तलाश करो, फिर से उजड़ा चमन बसाना है


सृजन साहित्य अभिरुचि मंच की मासिक काव्य गोष्ठी

बहजोई। सृजन साहित्य अभिरुचि मंच के तत्वावधान में बीएमबीएल जैन कॉलेज ऑफ फार्मेसी में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। इस अवसर पर विभिन्न कवियों ने अपनी सुमधुर एवं प्रभावशाली रचनाओं से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।

गोष्ठी का शुभारंभ देशभक्ति से ओतप्रोत काव्यपाठ से हुआ। कवि ज्ञानप्रकाश उपाध्याय ने अपनी रचना से वातावरण को राष्ट्रप्रेम से सराबोर कर दिया –
प्यारी तिरंगे में बसी मेरी जान है,
सबसे प्यारा मेरा हिंदुस्तान है।

संदीप कुमार सचेत ने सामाजिक विसंगतियों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा –
कल सुबह का जब मैं देखूंगा अखबार,
पता चलेगा हत्या हुई कितनी, कितने बलात्कार।

कुमार अवधेश विद्यार्थी ने भावपूर्ण अभिव्यक्ति में कहा –
खुदा करे तुम्हें सजा वो मिले,
जिसको तुम चाहो, तुम्हें न मिले।

युवा कवि संभव जैन ने संवेदनाओं को झकझोरते हुए कहा –
मौन को स्वर नहीं बना पाए,
स्वर को अक्षर नहीं बना पाए।
द्वार, आंगन, छतें बना लीं,
बस, लोग घर नहीं बना पाए।

राजेश यादव तन्हा ने गांव की मिट्टी की महक से समां बांध दिया –
अद्भुत है मेरा गांव प्रिय,
जिससे है बहुत लगाव प्रिय।

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि रूपकिशोर गुप्ता ने जीवन की कठोर सच्चाइयों को रेखांकित किया –
मौत ने मारा झपट्टा ले गई,
जिंदगानी हाथ मलती रह गई।
बस नहीं चलता किसी का मौत पर,
जाते-जाते जिंदगी यह कह गई।

चंदौसी से आई कवयित्री मनीषा गौतम ने युवाओं को उत्साह और संघर्ष का संदेश दिया –
क्यों हो जाती है उन से ही मुहब्बत,
जिनका मिलना तकदीर में नहीं होता।

संचालन कर रहे बदायूं के कवि अरशद रसूल ने कहा –
इन गमों को अगर हराना है,
हाल कुछ भी हो मुस्कुराना है।
अब ज़मीनें नई तलाश करो,
फिर से उजड़ा चमन बसाना है।

युवा कवि दीपक गोस्वामी ‘चिराग’ ने अपनी रचना से कार्यक्रम को चरम पर पहुंचा दिया –
ये रिश्ता खास इतना है दरमियां तेरे और मेरे,
जो तेरा हो नहीं सकता, वो मेरा हो नहीं सकता।

अंत में सभी कवियों को सम्मानित किया गया। बीएमबीएल जैन कॉलेज के निदेशक संभव जैन ने आभार व्यक्त किया। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि रूपकिशोर गुप्ता ने तथा संचालन अरशद रसूल ने किया। कार्यक्रम में पूर्व विधायक परमेश्वर लाल सैनी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।


 शकील भारती संवाददाता

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