आईरा के पत्रकार सम्मेलन में हुआ कवि सम्मेलन मुशायरा

देर रात तक कवियों ने सुनाए कलाम , आर्टिस्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन के सहयोग से हुआ आयोजित

बदायूँ । आल इंडिया रिपोर्टर्स एसोसिएशन के पत्रकार सम्मान में आर्टिस्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन के संयोजन में एक भव्य कविसम्मलेन व मुशायरा माधव मैरिज लॉन अलापुर रोड म्याऊ में आयोजित हुआ । कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली अकादेमी के एक्स चैयरमैन मशहर शायर डॉ माजिद देवबंदी ने व संचालन आर्टिस्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मशहूर हिलाल बदायूँनी ने किया ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरीद क़ादरी , प्रदेश महासचिव अबरार अहमद प्रभारी हामिद अली राजपूत जिलाध्यक्ष वेदपाल सिंह को सम्मानित किया गया
कार्यक्रम का आरंभ मेरठ से आआई मशहूर शायरा डेनिश ग़ज़ल ने देशभक्ति गीत से किया जिसके पश्चात एक के बाद एक शायर व कवियों ने काव्यपाठ किया ।

कार्यक्रम का सफल संचालन कर रहे मशहूर शायर व आर्टिस्ट्स वेलफेयर ऐसोसियेशन के अध्यक्ष हिलाल बदायूँनी ने कहाभुला कर सब गिले शिकवे चलो हम एक हो जाएं ।खलिश दिल की मिटा डालें बढ़ाये प्यार होली में ।गले हम भी मिले तुमसे गले तुम भी मिलो हमसे ।मुहब्बत की उड़े पिचकारियों से धार होली में ।

अध्यक्षता कर रहे दिल्ली अकादेमी के एक्स वायस चेयरमैन डॉ माजिद देवबन्दी ने कहा
उसको जीने का हक़ नही कुछ भी
जो यहां अम्न से नहीं रहता
तुमको तकलीफ देके मैं खुश हूं ।
मेरा मज़हब तो ये नहीं कहता

तालिब हमीद रामपुरी
मुसलसल उम्र घटती जा रही है ।
मसायल हैं कि बढ़ते जा रहे हैं ।
बाल कवि वकार फराज़ी ने कहा
दूर जीवन की कर दे निराशा मेरी ।
मेरी बाँहों में आजा ऐ राधा मेरी ।

नोमान मकनपुरी ने कहा
दो जिस्म एक जान है हिन्दू ओ मुसलमान ।
इस देश की पहचान हैं हिन्दू ओ मुसलमान।

मशहूर कवियत्री दानिश ग़ज़ल ने कहा
मैं हिन्दू हूँ या मुस्लिम हूँ मगर सच है यही दानिश ।
मैं खुद पर गर्व करती हूं कि हिन्दोस्तां की बेटी हूँ ।

पूरनपुर से आयी शायरा सुल्तान जहां ने कहा
मेरे मुंसिफ मेरे रहबर तू अब तो फैसला कर दे ।
खिताबे बावफ़ा दे दे या साबित बेवफा कर दे ।

कमलकांत तिवारी ने कहा
हम ज़ुल्मो ज़ालिम को संवारने नही देंगे ।
भारत की सरज़मी को बिखरने नही देंगे ।

अमन मयंके शर्मा ने कहा
मैं खूब जानता हूँ सच है तेरी खबर में ।
रहजन भी हो गए है शामिल मेरे सफर में ।

शराफत समीर ने कहा
किसी ने भर के चाबी फेंक दी है ।
चले जब तक खिलोना चल रहा है ।

अभिषेक अनंत ने कहा
आ गयी फिर फागुनी रुत प्यार की ।
प्रेममय सदभाव के उपहार की ।

अज़मत जीलानी ने कहा
बज़ाहिर तो बहुत शादाब हूँ मैं ।
मेरे अंदर बहुत वीरानियाँ हैं ।

सोहराब ककरालवी ने कहा
जिस्म लाता हूँ सिर्फ ड्यूटी पर ।
खुद को घर पर ही छोड़ जाता हूँ ।

फहीम बरेलवी ने कहा
जो बसा था मेरी साँसों में हरारत की तरह
वो मुझे छोड़ चुका है बुरी आदत की तरह

इस नौके पर आयोजन समिति से शकील बख्शी नरेंद्र सिंह फरहत अंसारी आशीष भारद्वाज दिनेश मिश्रा विजेंद्र भारद्वाज अहमद हसन आदि ने सभी मेहमानों का आभार व्यक्त किया ।

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