गुलजार-ए-सुखन संस्था की ओर से आयोजित हुआ मासिक तरही मुशायरा

ऐब सब में उसे नहीं दिखते, अपने अंदर जो झांकता होगा।

बदायूं। स्थानीय साहित्यिक संस्था गुलजार-ए-सुखन की ओर से मोहल्ला सोथा स्थित कार्यालय पर मासिक तरही मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि, समीक्षक महेश मित्र ने की। उन्होंने कहा कि गुलजार-ए सुखन संस्था साहित्य के उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण काम कर रही है, जो सराहनीय है। संस्था के पदाधिकारियों ने कार्यक्रम अध्यक्ष को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस बार मुशायरे का मिसरा-ए-तरह था-दोस्ती का अलग मजा होगा। इस पर शायरों ने अपने-अपने अंदाज में बेहतरीन कलाम पेश किए।

कार्यक्रम अध्यक्ष महेश मित्र ने दोस्ती के महत्व पर प्रकाश डाला-
दोस्त सब जब भी मिल के बैठेंगे,
दोस्ती का अलग मजा होगा।

शम्स मुजाहिदी बदायूंनी ने सुनाया-
उसका रुखसार जब छुआ होगा
गुलशने जिस्म जल गया होगा।
चंद लम्हों की वाह वाही को,
बाप उसने बदल लिया होगा।
युवा शायर उज्ज्वल वशिष्ठ ने कहा-
दोस्ती का अलग मजा होगा,
कृष्ण जैसा अगर सखा होगा।

संचालक की भूमिका अदा कर रहे अरशद रसूल ने कहा-
ऐब सब में उसे नहीं दिखते,
अपने अंदर जो झांकता होगा।

समर बदायूंनी ने शेर यूं सुनाया-
रंग परवाज उसकी लाएगी,
जिस परिंदे में हौसला होगा।

सुरेंद्र नाज ने अलग अंदाज में सुनाया-
कोई यूँ ही नहीं खफा होगा,
सागर-ए जब्त भर गया होगा।

डॉ. दानिश बदायूंनी सुनाया-
उससे उम्मीद और वफाओं की,
है वो किसका जो आपका होगा।

सादिक अलापुरी ने कहा-
वो सदाकत से आशना होगा,
आइना जो भी देखता होगा।

अय्यूब बदायूंनी ने कहा-
आपका जो भी फैसला होगा,
हमको मंजूर बाखुदा होगा।

कुमार आशीष खूबसूरत अंदाज में सुनाया-
मुँह छुपाता फिरेगा झूठ अपना,
जब कभी सच से सामना होगा।

आजम फरशोरी ने कहा
आज फिर याद आ गई उसकी,
आज फिर मेरा रतजगा होगा।
अगला मुशायरा आठ नवंबर को होगा, जिसके मिसरा दिया गया-जिस पे उसकी मेहरबानी हो गई। देर रात तक चले मुशायरे में तमाम गणमान्य लोग मौजूद रहे।

 शकील भारती संवाददाता

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