
– उस्ताद शायर खालिद नदीम बदायूंनी की याद में सजी नातिया महफिल
बदायूं। फनकार एकेडमी ने शहर के उस्ताद शायर खालिद नदीम बदायूंनी को याद किया गया। उनकी याद में नातिया महफिल का आयोजन किया गया। शायरों ने बेहतरीन कलाम पेश कर समां बांध दिया।
जामा मस्जिद के सामने सादिक अलापुरी के आवास पर आयोजित नातिया महफिल में शायरों ने खालिद नदीम को खिराजे अकीदत पेश की, उनके कलाम को शाकिर रजा, फैजान रजा, हाफिज जमाल बदायूंनी ने अपनी बेहतरीन आवाज में सुनाया। अध्यक्षता करते हुए बुजुर्ग शायर अख्तर बदायूंनी ने पढ़ा-नबी ने पत्थरों को घिस के आइनों को निकाला है, अंधेरी रात के मुंह से उजालों को निकाला है। अहमद नबी बदायूंनी ने अपने खयाल का इजहार यूं किया-अगर अल्लाह का होना है तो फिर, रसूलल्लाह का होना पड़ेगा। संचालन करते हुए युवा शायर अरशद रसूल ने यूं पढ़ा-जो शख्स मानता है हिदायत रसूल की, जन्नत में जाएगा वो बदौलत रसूल की।
युवा शायर शम्स बदायूंनी ने अपने जज्बात यूं रखे-हो गई जो किस्मत से हाजिरी मदीने की, रात दिन मैं घूमूंगा हर गली मदीने की। वरिष्ठ शायर समर बदायूंनी ने अकीदत यूं बयां की-कैसे न भला मैं रहूं सरकार की तरफ, रहते हैं सभी अपने तरफदार की तरफ। आयोजक सादिक अलापुरी ने अपनी बात इस तरह रखी-मैं कैसे मान लूं कि जमाना कुछ और है, अल्लाह तो वही है ये जमाना कुछ और है। दानिश बदायूंनी ने कहा-या रब कुछ ऐसा कर दे तू नामे रसूल से, पहचान मेरी भी हो गुलामे रसूल से। असरार मुज्तर बदायूंनी ने कहा-सना करते हैं महफिल में तो ये महसूस होता है, हमारी नात सुनने को हबीबे किबरिया आए। इस मौके पर मुजाहिद नाज बदायूंनी, अबरार बदायूंनी, अय्यूब बदायूंनी, अम्बर बदायूंनी, साकिब बदायूंनी, मु सलमान आदि मौजूद रहे।