जशने -ए – नूर की महफिल सजाई गई

बदायूं। हजरत पैगंबर मोहम्मद स.अ.व और इमाम सादिक़ अ.स की यौमे पैदाइश के दिन जश्न-ए-नूर गुरुवार को अकीदत के साथ इमामबाड़ा मुत्तक़ीन में मनाया गया. जश्न-ए-नूर के मुबारक मौके पर विभिन्न तरह के व्यजन बनाए.

महफ़िल जश्न-ए-नूर शिया तंज़ीमुल मोमिनीन कमेटी, बदायूं की जानिब से मुनक़ीद हुई. इसमें निज़ामत के फ़रायज़ जनाब डॉ ग़ुलाम अब्बास राजू साहब ने अंजाम दिए. सदारत जनाब अनवर आलम साहब की रही.
हजरत पैगंबर मोहम्मद स.अ.व और इमाम सादिक़ अ.स की

यौमे पैदाइश के मुबारक मौके पर महफ़िल जश्न-ए-नूर इमामबाड़ा मुत्तक़ीन सय्यदबाड़ा बदायूं में मुनक़ीद हुई. मकामी शायरों की मौजूदगी में नात शरीफ के नजराने गूंजे. आहता-ए-नूर में जनाब सय्यद जाबिर ज़ैदी साहब ने तिलावत-ए-कलाम पेश किया. उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद ने अपनी शिक्षाओं में परस्पर प्रेम, इंसानियत, गरीबों की मदद को प्रमुखता दी है. उनकी सीख को जीवन में अपनाना चाहिए. जनाब अनवर आलम साहब की तकरीर हुई. जनाब डॉ ग़ुलाम अब्बास राजू साहब ने सलातो सलाम पेश किया. डॉ एहसान रेज़ा ने नज़रख्वानी की. महफ़िल सदर जनाब अनवर आलम साहब ने दुआ पढ़ी।

शकील भारती संवाददाता

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