जिला अस्पताल में ब्लड ग्रुप की जांच कराने पहुंचे स्कूल के बच्चे

बच्चों की भीड़ अधिक संख्या में होने से धक्का खाने पर हुए मजबूर

बदायूं। जिले के सभी सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों के छात्र-छात्राओं के डाटा फीडिंग में ब्लड ग्रुप दर्ज करने के शिक्षा विभाग के आदेश ने विद्यार्थियों को धक्के खाने पर मजबूर कर दिया है। विद्यार्थी एवं अविभावक सभी परेशान दिख रहे है। जिला अस्पताल में स्कूली बच्चे बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। जिस के चलते चिकित्सा उपचार भी प्रभावित हो रहा है। क्योंकि छात्र-छात्राओं की पर्चा बनवाने से लेकर डाक्टरों से लिखवाने और फिर जांच कराने के सेंटर तक लंबी लाइन से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में मरीजों का नंबर नहीं आ पा रहा है।

शनिवार को सुबह से ही जिला अस्पताल में ब्लड ग्रुप चेक करने को विद्यार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी। अस्पताल का समय सुबह आठ से दो बजे तक का है। पहले तो पंजीकरण कक्ष पर लंबी लाइन में लगकर पर्चा बनवाने को मारामारी रही। फिर डाक्टरों के कक्ष, जांच सेंटर के बाहर तक लंबी लाइनें लगीं रहीं। इसमें मरीजों की संख्या कम और स्कूल के छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक रही है। दिनभर में करीब 540 छात्र-छात्राओं ने जांच को पंजीकरण कराया है। परंतु दो बजे तक लगभग तीन सौ बच्चों का ही ब्लड ग्रुप चेक हो सका।जबकि दो। सौ से अधिक विद्यार्थी काउंटर बंद होने पर मजबूरन बिना जांच कराए ही मायूस खोकर वापस लौट गए।इस बीच लाइनों में जमकर धक्का मुक्की हुई और मरीजों को दिक्कत हुई। मरीजों को उपचार भी जैसे-तैसे मिला है। मगर इन छात्र-छात्राओं को उपचार नहीं लेना था केवल ब्लडग्रुप की जांच करानी थी इसीलिए लाइन लगाये रहे। सीएमएस डा. कप्तान सिंह का कहना है कि जिलेभर के विद्यालयों से कई दिन से छात्र-छात्राओं की भीड़ केवल ब्लडग्रुप की जांच कराने आ रही है। ऐसे में मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। शनिवार को 11 बजे बिजली गुल हो गई तो सीएमएस डॉ कप्तान सिंह द्वारा तीन घंटा जनरेटर चलवाकर जांच करवाई गई।

शकील भारती संवाददाता

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