दरगाह पर हज़रत अली की विलादत के मौके पर सजाई गई महफ़िल

बरेली। रजब के मौके पर मज़हब-ए-इस्लाम के चौथे खलीफ़ा,पैग़म्बर-ए-इस्लाम के दामाद हज़रत मौला अली रदियल्लाहो अन्हा की यौमे विलादत के मौके पर दरगाह आला हजरत पर दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत में महफिल सजाई गई। महफ़िल का आगाज़ तिलावत-ए-कुरआन पाक से हुआ। इसके बाद नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया गया।
सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने हज़रत अली की बारगाह में खिराज़ पेश करते हुए कहा कि आपका मर्तबा इसी से पता चलता है कि आप दामाद-ए-रसूल,जन्नती जवानों के सरदार हज़रत इमाम हुसैन व इमाम हसन के वालिद और खातून ए जन्नत के शौहर है। बच्चों में सबसे पहले ईमान लाने वाले है। आपका ज़िक्र करना भी इबादत है। आप इल्म का समंदर है। बहादुरी में आपकी मिसाल मिलना मुश्किल है। हमारे नबी ने इरशाद फरमाया कि मैं इल्म का शहर हूँ और अली उसके दरवाज़ा है। अब जो इल्म से फायदा उठाना चाहता है वह बाबे इल्म से दाखिल हो। आपके नक्शे कदम पर चलना ही सच्ची मौलाईयत है। फातिहा के बाद सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने खुसूसी दुआ की। आखिर में सबको लंगर तकसीम किया गया।
इस मौके पर मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी,मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी,मौलाना ज़ईम रज़ा,शाहिद नूरी,परवेज़ नूरी,नासिर कुरैशी, औरंगज़ेब नूरी,अजमल नूरी,ताहिर अली,मंजूर रज़ा,हाजी जावेद खान,शान रज़ा,मुजाहिद रज़ा,इशरत नूरी,अशमीर रज़ा,साजिद नूरी,आलेनबी,काशिफ रज़ा, शाद रज़ा,अरबाज रज़ा,सुहैल रज़ा,सय्यद माजिद,सय्यद एजाज,मुस्तकीम नूरी,नफीस खान,आरिफ नूरी, सबलू अल्वी,तस्लीम रज़ा, शारिक बरकाती,इरशाद रज़ा,नाजिम गोलू,तारिक सईद,अजमल रज़ा,नईम रज़ा,मोहसिन रज़ा,युनुस गद्दी, मोहसिन रज़ा,आदि लोग शामिल रहे।

 शकील भारती संवाददाता

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