बदायूँ में मोहर्रम का आगाज़, कर्बला क़ाज़ी हौज़ में कल लगेगा फतेह निशान

अशरा-ए-अव्वल की मजलिसों को मौलाना सैफ अली ज़ैदी साहब खिताब करेंग

बदायूँ। मोहर्रम के मुक़द्दस महीने की शुरुआत के साथ ही शिया मुसलमानों में सोग का माहौल बन गया है। शहर के कर्बला क़ाज़ी हौज़ में कल पारंपरिक तौर पर ‘फतेह निशान’ लगाया जाएगा, जो मोहर्रम के आग़ाज़ का प्रतीक माना जाता है।

मोहर्रम, जिसे इस्लामी नववर्ष का पहला महीना माना जाता है, शिया समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। यही वह महीना है जब कर्बला के मैदान में पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद स.अ. के नवासे इमाम हुसैन अ.स. ने अन्याय और ज़ुल्म के खिलाफ लड़ते हुए अपने 72 साथियों समेत शहादत कुबूल की थी।

अशरा-ए-अव्वल की मजलिसें आज से, मौलाना सैफ अली ज़ैदी साहब करेंगे खिताब

अंजुमन ज़ुल्फ़िक़ार-ए-हैदरी, बदायूँ के मीडिया प्रभारी ज़ैनुल इबा ज़ैदी ने जानकारी दी कि अशरा-ए-अव्वल की मजलिसों को खिताब करने के लिए बरेली से तशरीफ़ लाए मौलाना सैफ अली ज़ैदी साहब क़िबला करेंगे।

पहली मजलिस सुबह 8 बजे इमामबाड़ा मुत्तक़ीन, सय्यदबाड़ा बदायूँ में मुनक़ीद की जाएगी, जबकि दूसरी मजलिस रात 8 बजे अज़ाखाना जावेद अब्बास साहब, निकट जमा मस्जिद बदायूँ में आयोजित होगी।

सवा दो महीने तक रहेगा मातम और अज़ादारी का सिलसिला

ज़ैनुल इबा ज़ैदी ने बताया कि मोहर्रम से लेकर सफर की 8 तारीख़ तक यानी कुल 2 महीने 8 दिन तक मजलिसों, मातम और अज़ादारी का सिलसिला जारी रहेगा। इस दौरान महिलाएं और बच्चियाँ अपने ज़ेवर उतार देती हैं और पूरी तरह सोग मनाती हैं। मजलिसों में इमाम हुसैन अ.स. की शहादत और उनके पैग़ाम को आम लोगों तक पहुँचाया जाएगा।

बदायूँ की गलियों में बसा रहेगा कर्बला का मंज़र

मोहर्रम के दौरान बदायूँ की फिजा पूरी तरह अज़ादारी में डूब जाती है। जगह-जगह ताज़िये, अलम, सबीलें, और मजलिसों का आयोजन किया जाता है। मातमी जुलूसों में लोग सीना-ज़नी कर इमाम की कुर्बानी को याद करते हैं।

प्रशासन की ओर से शांति व्यवस्था के लिए कड़े इंतज़ाम किए गए हैं ताकि अज़ादारी का माहौल सम्मानपूर्वक और शांतिपूर्वक संपन्न हो सके।

शकील भारती संवाददाता

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