बरेली मे जश्न ए रसूल शानो शौकत के साथ मनाया गया


बरेली । पैगंबर-ए-इस्लाम के यौमे विलादत की खुशी में सुब्हानी मियां व अहसन मियां की कयादत में निकला जुलूस-ए-मोहम्मदी। दिन में दरगाह पर जश्न-ए-आमद रसूल मनाया गया।

ईद मिलादुन्नबी के मौके पर  मुख्य जुलूस कोहाड़ापीर से अंजुमन खुद्दामें रसूल की जानिब से निकाला गया। जुलूस दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की क़यादत व अंजुमन ख़ुद्दाम-ए-रसूल के सदर सय्यद आसिफ मियां की निगरानी में कोहाड़ापीर से शुरू हुआ। जुलूस में अंजुमने प्रशासन की ओर से मिली अनुमति के अनुसार ही बेहद सादगी के साथ शामिल हुई।

दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मिया) ने शाम ठीक 5 बजकर 40 मिनट पर अब्दुल सुबूर रज़ा को मोहम्मदी परचम सौपकर जुलूस को रवाना किया। सबसे आगे बिधौलिया कि अंजुमन फरोग-ए-अदब चली। जुलूस में लोग सरकार की आमद मरहबा,आका की आमद मरहबा,लब्बैक लब्बैक या रसूलल्लाह के नारे लगाते चल रहे थे। रास्ते मे जगह जगह जुलूस का जोरदार इस्तक़बाल किया गया। जुलूस का संचालन ने किया। जुलूस कोहाड़ापीर से अपने कदीमी रास्ते कुतुबखाना, ज़िला अस्पताल, कोतवाली, नॉवेल्टी के रास्ते इस्लामिया स्कूल, करोलान, बिहारीपुर होते हुए दरगाह आला हज़रत पर समाप्त हुआ।

मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि जुलूस शुरू होने से पहले मौलाना अब्दुल सुबूर रज़ा ने तिलावत- ए-कुरान से महफ़िल का आगाज़ करते हुए कहा कि ईद मिलादुन्नबी ईदो की ईद है, अगर हमारे नबी इस दुनिया मे तशरीफ़ न लाते तो ईद उल फितर और ईद उल अज़हा का वजूद भी न होता। सय्यद कैफ़ी अली ने नात ए पाक का नज़राना पेश किया। इसके बाद मुफ्ती सलीम नूरी व मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने अपनी तकरीर में

पैगंम्बर आज़म को खिराज़ पेश करते हुए कहा कि मुसलमानो से सूद व शराब जैसे गुनाहों से बचने की ताक़ीद करते हुए नमाज़ों की पाबन्दी करने को कहा। मज़हब इस्लाम पैगाम देता है कि बेटी व महिलाओं की हिफाज़त करो फिर वो किसी भी मज़हब की हो। आगे कहा कि हमारे नबी मुसलमानो के लिए रहमत बनाकर नही बल्कि आलमे इंसानियत के लिये रहमत बना कर भेजा। मौलाना बशीरुल क़ादरी ने कहा कि आपने काले-गोरे का भेदभाव खत्म किया। पेड़-पौधे लगाने को सदका कहा। कायदे जुलूस हज़रत सुब्हानी मियां व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां के पहुँचने पर अंजुमन के सचिव शान रज़ा,खजांची मोहसिन हसन खान,सलाहकार आबिद खान,कासिम कश्मीरी,आरिफ उल्लाह,नासिर कुरैशी आदि ने फूलों से जोरदार इस्तक़बाल किया। जुलूस की व्यवस्था अंजुमन के ओहदेदारान अजमल नूरी,परवेज़ नूरी, हाजी जावेद खान,शाहिद नूरी,औररंगज़ेब नूरी, ताहिर अल्वी,मंज़ूर खान,हाफिज वहीद,सय्यद फैज़ान रज़ा,सय्यद माजिद अली, तारिक़ सईद,शारिक बरकाती, सय्यद आलेनबी,काशिफ सुब्हानी,शहजाद पहलवान,गफूर पहलवान,हस्सान रज़ा,हाजी अब्बास नूरी,नदीम खान,बरकात रज़ा,अफ़ज़ाल बेग,ज़ोहिब रज़ा,इशरत नूरी,मुजाहिद बेग,सय्यद एजाज़,आसिम नूरी,काशिफ सुब्हानी,सबलू अल्वी,फारूक खान,जावेद खान,इमरान खान,राशिद खान,आदि लोगो ने सम्भाली।

दूसरी तरफ सुबह 8 बजे दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) के निवास पर सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत जश्न-ए-आमद रसूल मनाया गया। इस मौके पर सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने कहा कि हमारे नबी जब इस दुनिया मे तशरीफ़ लाये जब बेटियों को ज़मीन में जिंदा दफन कर दिया जाता था। लोग बेटियों को बुरा जानते थे। उस वक़्त हमारे नबी ने लोगो से इरशाद फरमाया की जो लोग साहिबे ईमान इस दुनिया मे बच्चियों की खुशी खुशी तालीम-तरवियत देगे उसे मैं जन्नत में लेकर जाऊँगा। आपने खुद एक बेवा (विधवा) से निकाह कर महिलाओं का सम्मान बढ़ाया। ओरतो को सम्पत्ति में अधिकार दिया। हाजी गुलाम सुब्हानी ने मिलाद सय्यद मुस्तफ़ा अली व कारी रिज़वान रज़ा ने नात मनकबत का नज़राना पेश किया। टीटीएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सय्यद आसिफ मियां व मुफ्ती सलीम नूरी की मौजूदगी में मुफ्ती अय्यूब व मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम ने कहा कि हमारे नबी ने किसी बेगुनाह के कत्ल को सारी इंसानियत का कत्ल करार दिया। महिलाओं व मज़दूरों के हक़ की आवाज़ बुलंद की। आपने खुद ज़ुल्म सहकर अहिंसा का पैगाम दिया। अहसान रज़ा खान व कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने फातिहा व ख़ुसूसी दुआ मुफ्ती आकिल रज़वी ने की आखिर में सभी को तबर्रूक तक़सीम किया गया। इस मौके पर मुफ़्ती सय्यद कफील हाशमी,मुफ्ती अफ़रोज़ आलम,मुफ्ती जमील,मुफ्ती मोइनुद्दीन, मौलाना अख्तर आदि लोग मौजूद रहे।

शकील भारती ब्यूरो चीफ

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *