बरेली । आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के बड़े साहिबजादे हुज्जातुल इस्लाम मुफ्ती हामिद रज़ा खान साहब (हामिद मियां) का 81 वा उर्स-ए-हामिदी दरगाह पर मनाया गया। इस मौके पर आला हज़रत द्वारा स्थापित मदरसा मंज़र-ए- इस्लाम से फारिग कुल 125 तलबा (छात्रों) की दस्तारबंदी व डिग्री दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) के हाथों सौपी गयी। सभी कार्यक्रम दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत में दरगाह परिसर में हुए।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि उर्स का आगाज़ बाद नमाज़-ए-फ़ज़र कुरानख्वानी से हुआ। मुफ्ती मोइनुद्दीन बरकाती व कारी रिज़वान ने नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया। सुबह खत्म-ए-बुखारी शरीफ की महफील दरगाह सरपरस्त हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सदारत में हुई। मदरसे के सदर मुफ्ती आकिल रज़वी ने सभी फारिग तलबा को बुखारी शरीफ की आखिरी हदीस का दर्स दिया। सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर हज़रत जिलानी मियां के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। रात में महफ़िल का आगाज़ तिलावत-ए- कुरान से किया गया। हाजी गुलाम सुब्हानी व आसिम रज़ा ने मिलाद का नज़राना पेश किया। इसके बाद देश भर से आये उलेमा ने खिताब किया। रात 10 बजकर 35 मिनट पर हुज्जातुल इस्लाम के कुल शरीफ़ की रस्म अदा की गई। इस मौके पर मुफ्ती आकिल रज़वी की किताब इम्दादुल कारी व इम्दादुल बारी, मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी व मुफ्ती मोइनुद्दीन की लिखी बरकात-ए-सूफिया व मौलाना रेहान रज़ा क़ादरी की “सुन्नी एंड वहाबी” लिखी इंग्लिश में रस्मे इजरा (विमोचन) दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां के हाथों किया गया । खुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मिया ने की। इसके बाद मदरसे से फारिग सभी तलबा (छात्रों) की दस्तार बंदी का सिलसिला शुरू हुआ जो देर रात तक चला।
मदरसे के सदर (प्रधानाचार्य) मुफ्ती आकिल रज़वी ने सभी छात्रों से कहा कि देश दुनिया मे फैलकर मज़हब और मसलक-ए-आला हज़रत के मिशन को फरोग देने का काम करे। मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि आला हज़रत ने अपनी सारी ज़िन्दगी इल्म की जो शमा रौशन की उससे आज पूरी दुनिया फ़ैज़ पा रही है। साथ सभी तलबा को मुबारकबाद देते हुए हुज्जातुल इस्लाम को खिराज़ पेश किया। मौलाना मुख्तार बहेडवी,कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी,मुफ्ती अनवर अली,मुफ्ती जमील,मुफ्ती अय्यूब,मुफ्ती अफरोज़ आलम,मौलाना अख्तर, मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी,कारी अब्दुल हक़ीम, मुफ्ती सय्यद शाकिर अली,मौलाना आसिफ संभली, मौलाना अख्तर आदि की मौजदूगी में सभी तलबा को दरगाह प्रमुख ने दस्तारबंदी कर डिग्रियाँ सौपी। निज़ामत (संचालन) कारी यूसुफ रज़ा संभली व मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने की।
उर्स की व्यवस्था तहरीक तहफ़्फ़ुज़-ए- सुन्नियत (टीटीएस) के शाहिद नूरी,हाजी जावेद खान,ज़ुबैर रज़ा खान,अजमल नूरी,मंज़ूर खान,परवेज़ नूरी, औरंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,शान रज़ा,खलील क़ादरी,मुजाहिद रज़ा,हाजी अब्बास,कामरान खान,आलेनबी,इशरत नूरी,सय्यद फरहत,सय्यद फैज़ान नूरी, तारिक़ सईद,ज़ोहिब रज़ा,आसिफ रज़ा, जावेद खान,सबलू अल्वी,गौहर खान, साजिद रज़ा,आसिफ नूरी,सय्यद माजिद,फ़ैज़ कुरैशी,तहसीन रज़ा,नसीम रज़ा,काशिफ सुब्हानी,साकिब रज़ा,ज़ीशान क़ुरैशी,आरिफ नूरी,नईम नूरी,सय्यद एजाज़,यूनुस गद्दी,शारिक बरकाती,यूनुस साबरी,जुनैद अजहरी,सुहैल रज़ा, शाद रज़ा, एडवोकेट काशिफ रज़ा का विशेष सहयोग रहा ।
