यही खता तो हमें बार-बार करना है

बदायूं। चराग़-ए सुखन संस्था के मोहल्ला सोथा कार्यालय पर अमेरिका से आए मेहमान शायर जावेद मसूद फरीदी के स्वागत में मुशायरे का आयोजन किया गया, संस्था ने उनका विधिवत स्वागत किया। देर रात तक चली महफिल में शायरों ने बेहतरीन कलाम पेश कर खूब वाहवाही लूटी।

मुशायरे का आगाज अहमद बदायूंनी ने नात पढ़कर किया। अध्यक्षता करते हुए एहसान बदायूंनी ने पढ़ा-
हम दिलो जाँ निसार कर देंगे,
कोई बढ़कर गले लगाए तो।
अहमद अमजदी ने पढ़ा-
वो वफादार कभी हो नहीं सकता अहमद,
जो वफादारी का एलान बहुत करता है।
युवा शायर अरशद रसूल ने कुछ यूँ सुनाया-
जमाने वाले सच को खता बताते हैं,
यही खता तो हमें बार-बार करना है।

मुशायरा के संयोजक आजम फरशोरी ने पढ़ा –
कहीं अमीर गरीबों को मुंह लगाते हैं,
मुझी पे क्या है सभी लोग ये बताते हैं।

सादिक अलापुरी ने पढ़ा-
हुस्न की रानाइयां उस रोज से ढलने लगीं,
जब से अपनी खुद नुमाई माहरु करने लगे।
समर बदायूंनी ने कलाम पेश किया-
मैं दिल पर चोट खाना चाहता हूँ,
तिरी बातों में आना चाहता हूँ।

सुरेन्द्र नाज़ ने पढ़ा-
देर से सोच रहा हूँ उसने मस्जिद जाने से पहले,
गंगाजल से बुज़ू किया है कोई हिंदुस्तानी है।

उज्जवल वशिष्ठ ने पढ़ा-
वफा करेंगे कभी मुहब्बत में हम ख़सारा नहीं करेंगे,
जो पानी दरिया-ए-इश्क का है वो पानी खारा नहीं करेंगे।
इनके अलावा इक़्तिदार इमाम, कुमार आशीष, शमसुद्दीन आदि ने अपने कलाम पेश किये। यहां सलीम फरशोरी, शहाब अली शब्बू, रूमान हाशमी, फरमान हाशमी, कामरान फरशोरी, अहिल रसूल, रजत गौड, कामयाब ज़की आदि मौजूद रहे।

 शकील भारती संवाददाता

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