रिश्ता मुहब्बतों का निभा कर चले गये खालिद नदीम

गोष्ठी में उस्ताद शयर ख़ालिद नदीम बदायूंनी को दी गई श्रद्धांजलि

बदायूं। उर्दू अदब के उस्ताद शायर ख़ालिद नदीम बदायूंनी के निधन पर एक भावभीनी श्रद्धांजलि गोष्ठी का आयोजन सादिक अलापुरी के आवास पर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अशोक खुराना ने की, जबकि संचालन की ज़िम्मेदारी संवेदनशील शायर मुख़्तार तिलहरी ने निभाई। वक्ताओं ने कहा कि ख़ालिद नदीम बदायूंनी की शायरी केवल साहित्य नहीं, बल्कि तहज़ीब, इंसानियत और अदबी ज़मीर की ज़िंदा दस्तावेज़ है जो आने वाली नस्लों को रौशनी और रास्ता देती रहेगी।

अरशद रसूल बदायूंनी ने अपनी शायरी के माध्यम से दिल को छू जाने वाली श्रद्धांजलि दी:
रिश्ता मुहब्बतों का निभा कर चला गया,
महरो-वफ़ा के गीत सुना कर चला गया।
रहने लगी हैं इल्म की सब महफ़िलें उदास,
शेरो-सुख़न की शमअ जलाकर चला गया।

समर बदायूंनी ने कहा:
भरोसा कीजिए क्या ज़िंदगी का,
यह कब सो जाए पहलू में क़ज़ा के।

वरिष्ठ शायर डॉ. सोहराब ककरालवी ने कहा कि ख़ालिद नदीम ने उर्दू शायरी को आम जनमानस से जोड़ा, और यह उनका सबसे बड़ा अदबी योगदान है। वे एक ऐसी मिसाल थे, जिनकी शायरी दिल से निकलकर दिलों तक पहुँची।

गोष्ठी में हमज़ा नूर ककरालवी, डॉ. दानिश बदायूंनी, डॉ. प्रमोद दर्पण, वासिफ पुसगवी, सुरेंद्र नाज़, क़ासिम बिल्सी, सगीर, अय्यूब बदायूंनी, ग़ाज़ी मियाँ सकलैनी और ताहिर सकलैनी मौजूद रहे।

शकील भारती संवाददाता

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *