विद्यालयओ व आंगनबाड़ी केंद्रों पर मना राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस

सम्भल। ( बहजोई ) राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) के अवसर पर जनपद की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. तरन्नुम रज़ा ने बहजोई स्थित इन्टरमीडिएट काॅलेज में छात्र/ छात्राओं को दवा खिलाकर कृमि मुक्ति अभियान का शुभारम्भ किया। पेट के कीड़े मारने की दवा जनपद के 1 वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी बच्चों/ किशोरों को खिलाई जानी है।

मुख्य अपर चिकित्सा अधिकारी डा. पंज कुमार विश्नोई ने बताया कि जनपद में 10,74,322 बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों, ईंट भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे अनुपस्थित या बीमार होने के कारण दवा नहीं खा पाए हैं। उनको मॉपअप राउण्ड में दवा खिलाई जाएगी। जनपद में मॉपअप राउंड 25 जुलाई से 27 जुलाई तक चलेगा। शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं।

जिला कार्यक्रम प्रबन्धक संजीव राठौर ने बताया कि किसी भी बच्चे अथवा किशोर / किशोरी को खाली पेट दवा नहीं खिलाई जानी है। कुछ खाकर ही यह दवा खानी है। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर चूरा बनाकर खिलानी है, जबकि 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। पहले यह दवा वनीला और मैंगो फ्लेवर में उपलब्ध थी जबकि इस बार यह स्ट्राबेरी फ्लेवर में मिल रही है।

क्यों खाएं दवा

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ तरन्नुम रज़ा बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।

शकील भारती ब्यूरो चीफ

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