बदायूं। सरकार की महत्वाकाँक्षी योजना अमृत सरोवर के अन्तर्गत हर विकास खण्ड से चार-पाँच तालाब चयनित कर उनका निर्माण कार्य आरम्भ कराया गया है। वही कुछ निचले क्रम के कर्मचारी अपनी मनमानी के चलते,सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं पर पानी फेरने का कार्य कर रहे हैं।
आपको बताते चले कि ऐसा ही एक मामला जिला बदायूँ के विकासखण्ड उसावां की ग्राम पंचायत बबई भट्टपुरा के मजरा मिर्जापुर अतिराज का हैं। जहां गाटा संख्या 205 तालाब को अमृत सरोवर में चयनित होने पर ग्राम प्रधान सतीशचन्द्र ने उप जिलाधिकारी दातागंज से आदेश कराकर हल्का लेखपाल अमितकुमार द्वारा कब्जा मुक्त कराकर चिन्हाकन पर मेढबन्दी करा दी। इसके एक हफ्ते बाद लेखपाल अमित कुमार का हल्का बदल गया। उनकी जगह पर हल्का लेखपाल विनोद पुरी ने चार्ज सम्भाला। चार्ज लेते ही लेखपाल विनोदपुरी फुल एक्शन में आ गये।
बताते चलें कि लेखपाल विनोद पुरी भसुन्दरा गाँव पहुँचकर एक काश्तकार जिसका खेत तालाब के किनारे है उससे दस हजार रूपये में सौदा तय कर लिया। कि मैं तुम्हारा खेत जैसा था वैसा ही कर दूँगा। जब हल्का लेखपाल पैसे ले रहे थे। उस समय भसुन्दरा ग्राम प्रधान रिहाना के पति रमजान अली वहाँ मौजूद थे। अज्ञानता के कारण लेखपाल नहीं पहचानते थे कि वह प्रधानपति हैं।
मजे की बात तो यह है कि जब प्रधानपति रमजान अली ने इस बात का विरोध किया तो लेखपाल विनोदपुरी उनपर आग बबूला हो गये, काफी कहासुनी हुई। इसके बाद लेखपाल ने मौके पर जाकर तालाब का जो चिन्हाकन पूर्व लेखपाल ने किया था उसको अवैध मानकर हटवा दिया और कहा कि आप लोग हमें लिखित शिकायत दो मैं तालाब दोबारा पैमाइस करूँगा पूर्व लेखपाल ने पैमाइस ठीक नहीं की है।
वहीं जब ग्राम प्रधान सतीशचन्द्र ने लेखपाल से बात की तो लेखपाल विनोद पुरी धमकाते हुए कहने लगा कि आपने गलत तरीके से पैमाइस करायी है। मैं चाहूं तो आप पर भी कार्यवाई हो जायेगी। जिसके चलते ग्राम प्रधान सतीशचन्द्र – बबईभट्टपुरा, ग्राम प्रधान रिहाना – भसुन्दरा, ग्राम प्रधान इकराम आलम – मसूदपुरा ने सामूहिक रूप से उप जिलाधिकारी दातागंज को लिखित शिकायती पत्र देकर बताया है कि यह भ्रष्ट लेखपाल विनोदपुरी काश्तकारों से पैसे लेकर सरकार की महत्वांकाक्षी योजना को पलीता लगा रहा है।
हमारे संवाददाता ने हल्का लेखपाल विनोद पुरी से बात करने का प्रयास किया मगर उनका फोन बन्द जा रहा था। लोगों का कहना है कि लेखपाल का अक्सर फोन बन्द ही रहता है।
देखने वाली बात है कि ऐसे भ्रष्ट लेखपाल पर प्रशासन क्या कोई कार्यवाई करता या फिर मामले की अनदेखी कर मामले को रफादफा कर दिया जाएगा।