बदायूं। शनिवार देर शाम मोहल्ला सोथा स्थित फ़रशोरी हाउस में एक साहित्यिक नशिस्त का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पटियाली से पधारे मशहूर शायर सरवर पटियालवी के सम्मान में रखा गया।
नशिस्त की सदारत अल्हाज आज़म फ़रशोरी ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी शायर शम्स मुजाहिदी बदायूंनी ने निभाई।
कार्यक्रम के दौरान सरवर पटियालवी ने अपना कलाम सुनाया—
“सहारा देकर खुद को बेसहारा कर लिया मैंने,
मिले न फूल कांटों से गुज़ारा कर लिया मैंने।
खुले दुश्मन से अब कोई शिकायत ही नहीं मुझको,
मुनाफ़िक दोस्तों से अब किनारा कर लिया मैंने।”
अल्हाज आज़म फ़रशोरी ने पढ़ा—
“तेरे मेरे दरमियां जब फासला हो जाएगा,
मेरी सीधी बात पर भी तू ख़फ़ा हो जाएगा।”
वहीं शम्स मुजाहिदी बदायूंनी ने कहा—
“तेरी जुल्फ़ों से मु अत्तर है फ़िज़ाए आलम,
सारी दुनिया है मेरे यार दीवानी तेरी।
दोपहर में जहां छप्पर के तले मिलते थे,
याद है मुझको हवेली वो पुरानी तेरी।”
इसके अलावा सहर बदायूंनी, सुरेंद्र नाज़ बदायूंनी, आदीम दातागंजवी और आरज़ू बदायूंनी ने भी अपनी ग़ज़लें व अशआर पेश कर महफ़िल में चार चांद लगाए।
इस मौके पर सैय्यद रुमान हाशमी, सालिम फ़रशोरी, सैफ़, फ़रमान हाशमी, उमर निहाल, अहमद नबी, डॉ. रुमान, अफ़रोज़, अरशद सहित अनेक श्रोता मौजूद रहे।
अंत में सालिम फ़रशोरी ने सभी उपस्थित मेहमानों व शायरों का आभार व्यक्त किया।



शकील भारती संवाददाता