बदायूं। बदायूं शहर में सात मोहर्रम को नवासे रसूल स.अ.व हज़रत इमाम हुसैन अ.स की शहादत के ग़म में मजलिसों व शहादत नामों की मजलिसों का सिलसिला तेज़ हो गया। हज़रत क़ासिम की शहादत के ग़म में अलम ए मुबारक और मेहंदी का जुलूस निकला।
मुहल्ला सय्यद बाड़ा इस्थित इमामबारगाह मुत्तक़ीन में मजलिस हुई जिसमें अमीर अब्बास आब्दी ने मरसिया पढ़ा तथा ग़ुलाम अब्बास ने मजलिस को ख़िताब करते हुए कहा कि हज़रत रसूले खुदा ने भाईचारा कायम करने और अहलेबैत से मुहब्बत करने का पैगाम दिया था तो वही यज़ीद ज़ुल्म व अत्यायाचारों के बल पर हुकूमत करना चाहता था इसलिए वह इंसानियत का कत्ल कर रहा था। कर्बला की जंग हक़ और बातिल की थी। कर्बला के मैदान में यज़ीदी की फ़ौज ने हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को शहीद कर दिया। हज़रत इमाम हुसैन के भतीजे हज़रत क़ासिम की शहादत के ग़म में अलम ए मुबारक व मेहंदी का जुलूस निकाला। जुनैद अब्बास, कैफ़ी ज़ैदी आमिर अब्बास अब्दी ने नोहा पढे। शिया समुदाय के इमामबाड़ों व अज़ाखानों पर मजलिसे मुनक़ीद हुई। अनवर आलम, जाबिर ज़ैदी, ऐहसान रज़ा, इसरार अहमद ज़ैदी, इक़रार अहमद ज़ैदी, साइब रिज़वान, मोहम्मद रज़ा आदि लोग शामिल हुए।
शकील भारती संवाददाता