सुब्हानी मियां की सरपरस्ती में हुआ ताजुशरिया का कुल

बरेली। ताजुशशरिया मुफ्ती अख़्तर रज़ा खान (अज़हरी मियां) का दो रोज़ा उर्स दरगाह पर मनाया गया। उर्स दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत में संपन्न हुआ। बाद नमाज़ ए फ़ज़्र कुरानख्वानी हुई।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि बाद नमाज़ ए अस्र दरगाह शरीफ के अन्दर कोविड गाइड लाइन के अनुसार महफ़िल का आगाज़ कारी रिज़वान रज़ा ने तिलावत ए क़ुरान से किया। नातख़्वा आसिम नूरी व हाजी गुलाम सुब्हानी ने नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया।
मुफ्ती सलीम नूरी ने ताजुशशरिया को खिराज़ पेश करते हुए कहा कि आप अहले सुन्नत की आबरू और बेसहारों के सहारा थे। ताजुशशरिया ने बरेली व सुन्नियत का नाम पूरी दुनिया मे रोशन किया। आपने अल्लाह की याद में अपनी ज़िंदगी गुजारी। आप इल्मों-अमल तक़वा और परहेज़गारी की एक मिसाल थे। आपने अपनी पूरी ज़िंदगी दीनी व मसलकी खिदमात को अंजाम दिया। दीन ए इस्लाम में अमल से पहले इल्म सीखने का हुक़्म दिया। इल्म सीखना हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है। ताजुशशरिया ने भी इल्म सीखने और सिखाने पर ज़ोर दिया। मुफ़्ती आकिल रज़वी व मुफ्ती अय्यूब खान ने अपनी तक़रीर में कहा कि मुफ्ती-ए -आज़म हिन्द के बाद फतवों में अगर इस खानदान में मकबूलियत हासिल हुई वो ज़ात का नाम ताजुशशरिया है। आप सन 1942 में इस दुनिया मे तशरीफ़ लाये। शुरुआती दौर में आपने मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम मे तालीम हासिल की। 1963 ई0 में आप तालीम हासिल करने मिस्र की अल अज़हर यूनिवर्सिटी तशरीफ़ ले गए। आपको फख्र-ए-अज़हर अवार्ड से नवाज़ा गया। आपको उर्दू जुबान के साथ साथ अरबी व इंग्लिश में महारत हासिल थी। कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ये आशार पढ़ कर खूब दाद पाई “मेरी जॉ सख़्ती झेली है तो तुझे पाया है, एक नज़र देख ले तो दिल को करार आ जाए। कि किया बताऊ किया है अख्तर रज़ा, गौस-ए -आज़म की अता है अख्तर रज़ा।”
मुफ्ती अनवर अली, मुफ्ती कफील हाशमी, मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम, मौलाना अख्तर ने भी खिराज़ पेश किया। शाम 7 बजकर 10 मिनट पर मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम व कारी रिज़वान रज़ा ने फातिहा पढ़ी। आखिर में सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने ख़ुसूसी दुआ की। उर्स के दोनों दिन दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां की ओर से ज़ायरीन के लिए लंगर जारी रहा।
इस मौके पर मुख्य रूप से मौलाना ज़ाहिद रज़ा, मौलाना बशीरूल क़ादरी, शाहिद नूरी, परवेज़ नूरी, हाजी जावेद खान, मंज़ूर खान, औररंगज़ेब नूरी, अजमल नूरी, नासिर कुरैशी, ज़ुबैर रज़ा खान, ताहिर अल्वी, सुहैल रज़ा, मुजाहिद बेग, शाद रज़ा, सय्यद फरहत, शारिक बरकाती, तारिक सईद,गौहर खान, काशिफ सुब्हानी, शाहिद फरीदपुरी, शान रज़ा, आलेनबी, यूनुस गद्दी, इशरत नूरी, ज़ोहिब रज़ा, सय्यद माज़िद अली, सय्यद एजाज़, आसिफ रज़ा, साजिद नूरी, जुनैद मिर्ज़ा,आसिफ नूरी, इरशाद रज़ा, साकिब रज़ा, ज़ीशान रज़ा आदि लोग शामिल रहे।

शकील भारती ब्यूरो चीफ

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