हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी को ता कयामत तक नहीं भुलाया जा सकता

बदायूं। पूर्व मंत्री आबिद रज़ा की ओर से मुहर्रम की 10वीं तारीख(आशुरे) के मौके पर कबूलपुरा स्थित कर्बला शरीफ में हर साल की तरह इस साल भी कैम्प लगाया गया । इस कैम्प में पहुँच कर पूर्वमंत्री आबिद रज़ा ने कर्बला शरीफ की ज्यारत करने आये ज्यारीनो से मुलाकात की और खुद रोजा रख कर लंगर भी तकसीम किया ।

यहां आपको बताते चले कि पिछले 15 सालों से पूर्वमंत्री आबिद रज़ा मोहर्रम की 10 तारीख़ को करबला में कैम्प लगाते है और खुद रोजा रखकर लोगो को लंगर बाँटते है।
पूर्वमंत्री आबिद रज़ा ने हजरत इमाम हुसैन साहब की कुर्बानियों को याद करते हुए कहा कि मैदान-ए-कर्बला में जुल्म के खिलाफ हक और सच्चाई के लिए हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों द्वारा दी गई कुर्बानी अमर है। पूर्वमंत्री आबिद रज़ा ने खासतौर से मुस्लिम नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि हज़रत इमाम हुसैन की शहादत नमाज पढ़ते वक्त हुई थी ऐसे हालात में भी हज़रत इमाम हूसैन ने नमाज को नही छोड़ा। इससे नमाज़ का मर्तवा पता चलता है। इसलिये मुस्लिम नौजवानों को किसी भी हालत में नमाज़ नही छोड़नी चाहिए। ।आज मुल्क में जो हालत है उसकी बड़ी वजह है ईमान से दूर हो जाना । मुसलमान अल्लाह से नही डर रहा है सारे ज़माने ने डर रहा है।मुसलमान जिस दिन अल्ल्लाह से डरना शुरू कर देगा और नमाज,रोजा व अल्लाह की बताई हुई बातो पर चलना शुरू कर देगा। सच और हक के लिए खड़ा होना शुरू कर देगा। झूठ, धोखा,बेईमानी से दूरी बना लेगा तब उसे ज़माने में सिवाए अल्लाह के अलावा किसी और से डरने की ज़रुरत नही पड़ेगी।

इस अवसर पर अफसर अली खान, क़ौसर खान,,छोटा कुरैशी, डॉ नासिर खान, अतीक अहमद , ज़फर हुसैन मसूदी,अबरार पूर्व सभासद,अनीस सिद्दीकी, डॉ आशू, वसीम सैफी फारूकी, शादाब तुर्क आदि लोग मौजूद रहे।

शकील भारती ब्यूरो चीफ

 

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