बदायूँ। में स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर कांग्रेस कमेटी के विरोध और उनके दिए गए ज्ञापन से यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय लोग स्मार्ट मीटर की विश्वसनीयता और लागत को लेकर चिंतित हैं।
मुख्य बिंदु:
1. स्मार्ट सिटी से पहले स्मार्ट मीटर – कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि पहले बदायूं को स्मार्ट सिटी बनाया जाए, फिर स्मार्ट मीटर लगाए जाएं।
2. गरीबों पर बोझ ना पड़े – कांग्रेस नेताओं की मांग है कि पहले सरकारी दफ्तरों, अधिकारियों, बड़े उद्योगपतियों और फैक्ट्रियों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएं, फिर आम जनता के घरों में।
3. कंपनियों की साख पर सवाल – विरोध करने वालों का दावा है कि जिस कंपनी को ठेका मिला है, वह पहले से ब्लैकलिस्टेड बताई जा रही है, और इसके मीटर तकनीकी जांच में फेल भी हुए हैं।
4. बेरोजगारी का खतरा – स्मार्ट मीटर से मैन्युअल मीटर रीडरों की नौकरियां खत्म हो जाएंगी, जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो सकते हैं।
5. पारदर्शिता की मांग – लोगों को डर है कि इन मीटरों से बिजली बिल अधिक आएंगे, इसलिए कांग्रेस कमेटी चाहती है कि मीटर की कीमत और बिल की गणना का तरीका सार्वजनिक किया जाए।
6. जबरदस्ती ना हो – कुछ जगहों पर जबरदस्ती मीटर लगाए जाने की शिकायतें आ रही हैं, जिसे गलत बताया गया है।
इस विरोध के चलते नगर मजिस्ट्रेट के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।
शहर प्रवक्ता नदीम उद्दीन, इकरार अली, हाजी ताहिरउद्दीन, आलोक जोशी, एडवोकेट जयप्रकाश, जमशेद तुर्क, सोनपाल, रामचंद्र मौर्य, अब्दुल सलाम, हाजी इमरान, कल्लू अंसारी, हाजी नजीर, डॉक्टर अशरफ, अकलीम वैध, अल्पसंख्यक विभाग के शहर अध्यक्ष बनने खान इरफान हुसैन, वसीम अली खान, देवेंद्र शर्मा,रामचंद्र, बबलू, का लोकेश वाहिद, हाजी नजीर हुसैन, इस्लाम अली, आदि।
शकील भारती संवाददाता