बदायूं।नई शिक्षा नीति (NEP) के महत्व को रेखांकित करता है। बताया गया है कि किताबों में संकलित ज्ञान दरअसल किसी चिंतक के विचारों का परिणाम होता है, लेकिन केवल पढ़ने और रटने से असली शिक्षा प्राप्त नहीं होती।
DPS बदायूँ ने इस दिशा में नई पहल की है, जिससे छात्रों की तार्किक और बौद्धिक क्षमता को विकसित किया जा सके। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तर्ज पर परीक्षा प्रणाली लागू कर, छात्रों को न केवल परीक्षा के तनाव से मुक्त करने की कोशिश की जा रही है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वासी और विचारशील भी बनाया जा रहा है।
इसके तहत, पूर्व प्रोफेसर डॉ. एस.सी. पोखरियाल ने छात्रों को प्रेरित किया कि प्रश्न पूछना ही सच्चे ज्ञान की निशानी है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पढ़ाई से विचारों में हलचल नहीं होती, तो वह सिर्फ शिक्षा रह जाती है, ज्ञान नहीं बन पाती।
विद्यालय की प्रधानाचार्या शुभा पाण्डे ने 2027 तक DPS Budaun को “Mathematics Friendly School” बनाने का लक्ष्य रखा है, ताकि कोई भी छात्र गणित से डर महसूस न करे।
निष्कर्ष
यह पहल न केवल एक अनूठी शैक्षणिक प्रयोग है, बल्कि छात्रों को आत्मनिर्भर और तार्किक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। इससे शिक्षा का मूल उद्देश्य, यानी मौलिक सोच विकसित करना, सफल हो सकता है।